ज़ुल्फ़ आवारा गरेबाँ चाक घबराई नज़र
इन दिनों ये है जहाँ में ज़िंदगानी का निज़ाम
इन दिनों ये है जहाँ में ज़िंदगानी का निज़ाम
चाँद तारे टूट कर दामन में मेरे आ गिरे
मेने पूछा था सितारों से तेरे गम का मक़ाम
पड़ गई पैरहन-ए -सुबह-ए -चमन पर सलवटें
याद आकर रह गई है बेखुदी की एक शाम
तेरी इस्मत हो के हो मेरे हुनर की चांदनी
वक्त के बाजार में हर चीज़ के लगते हैं दाम
s. harikishan
मेने पूछा था सितारों से तेरे गम का मक़ाम
पड़ गई पैरहन-ए -सुबह-ए -चमन पर सलवटें
याद आकर रह गई है बेखुदी की एक शाम
तेरी इस्मत हो के हो मेरे हुनर की चांदनी
वक्त के बाजार में हर चीज़ के लगते हैं दाम
s. harikishan
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