बेअदब मौसम से डरना है मुनासिब अब नहीं
मोम की मानिंद गलना है मुनासिब अब नहीं
हम से बढ़कर . इस जहाँ में . दूसरा कोई नहीं
इस कदर हर बार कहना है मुनासिब अब नहीं
मोम की मानिंद गलना है मुनासिब अब नहीं
हम से बढ़कर . इस जहाँ में . दूसरा कोई नहीं
इस कदर हर बार कहना है मुनासिब अब नहीं
है बुरा यह वक्त . लेकिन. इक खुशी के. वास्ते
ताक पर . ईमान रखना है. मुनासिब अब नहीं
टूटना तय . एक दिन है. साज़िशों का. हर मकां
इस तरह का ख्वाब ढहना है मुनासिब अब नहीं
--------------अशोक आलोक
ताक पर . ईमान रखना है. मुनासिब अब नहीं
टूटना तय . एक दिन है. साज़िशों का. हर मकां
इस तरह का ख्वाब ढहना है मुनासिब अब नहीं
--------------अशोक आलोक
No comments:
Post a Comment