Sunday 2 November 2014

अच्छा है

ग़ैर के नाम से पैग़ाम-ए-विसाल(1) अच्छा है
छेड़ का जिसमें मज़ा हो वो सवाल अच्छा है
सुल्‍ह दुश्मन से भी कर लेंगे तेरी ख़ातिर से
जिस तरह से हो ग़रज़ रफ़्‍अ-ए-मलाल(2) अच्छा है
लोग कहते हैं भलाई का ज़माना न रहा
ये भी कह दें कि बुराई का मआल(3) अच्छा है
देखने वालों की हालत नहीं देखी जाती
जो न देखे वही मुश्ताक़-ए-जमाल(4) अच्छा है
एक दुकां में अभी रख आए हैं हम अपना दिल
दूर से सब को बताते हैं वो माल अच्छा है
ऐसे बीमार की, अफ़सोस, दवा हो क्योंकर
अभी दम भर में बुरा है, अभी हाल अच्छा है
हम से पूछे कोई दुनिया में है क्या शै(5) अच्छी
रंज अच्छा है, ग़म अच्छा है, मलाल अच्छा है
दिल तो हम देंगे मगर पेश्तर(6) इतना कह दो
हिज्र अच्छा है तुम्हारा कि विसाल अच्छा है?
बाग़-ए-आलम(7) में कोई ख़ाक फले फूलेगा
बर्क़8 गिरती है उसी पर जो निहाल(9) अच्छा है
आप पछताएं नहीं, जौर(10) से तौबा न करें
आप घबराएं नहीं ‘दाग़’ का हाल अच्छा है
---दाग़ देहलवी
----------------------------------------------------------------------
1.मिलन संदेश 2.कष्‍टों का अंत 3.परिणाम 4.सौन्दर्याभिलाषी 5.वस्तु 6.पहले 7.संसार का उपवन 8.बिजली 9.पौधा 10.अत्याचार

No comments:

Post a Comment