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Sunday 2 November 2014
कुबूल हैं
कभी धूप दे, कभी बदलियां, दिलोजान से दोनों कुबूल हैं, मगर उस नगर में ना कैद कर, जहां जिन्दगी की हवा ना हो।
☆☆बशीर
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