Sunday 2 November 2014

दुनिया के सितम

दुनिया के सितम याद,न अपनी ही वफ़ा याद
अब मुझ को नहीँ कुछ भी मोहब्बत के सिवा याद

क्या लुत्फ़ कि मैँ अपना पता बताऊं
कीजे भूली हुई ख़ास अपनी अदा याद

मुद्दत हुई इक हादिसा-ए-इश्क़ को लेकिन
अब तक है तेरे दिल के धडकने की सदा याद ...॥

- 'जिगर' मुरादाबादी ॥

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