यहाँ हर शख्स हर पल हादसा होने से डरता हैं
खिलौना है जो मिटटी का फ़ना होने से डरता हैं
मेरे दिल के किसी कोने में एक मासूम सा बच्चा
बड़ों की देखकर दुनिया बड़ा होने से डरता है
खिलौना है जो मिटटी का फ़ना होने से डरता हैं
मेरे दिल के किसी कोने में एक मासूम सा बच्चा
बड़ों की देखकर दुनिया बड़ा होने से डरता है
बहुत मुश्किल नहीं है आईने के सामने जाना
हमारा दिल मगर क्यों सामना होने से डरता है
न बस में ज़िन्दगी इसके न काबू मौत पैर इसका
मगर इंसान फिर भी कब खुद होने से डरता है
अज़ब ये ज़िन्दगी की क़ैद है दुनिया का हर इंसान
रिहाई मांगता है और रिहा होने से डरता है
rajesh reddy
हमारा दिल मगर क्यों सामना होने से डरता है
न बस में ज़िन्दगी इसके न काबू मौत पैर इसका
मगर इंसान फिर भी कब खुद होने से डरता है
अज़ब ये ज़िन्दगी की क़ैद है दुनिया का हर इंसान
रिहाई मांगता है और रिहा होने से डरता है
rajesh reddy
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