Sunday 2 November 2014

फ़ना होने से डरता हैं

यहाँ हर शख्स हर पल हादसा होने से डरता हैं
खिलौना है जो मिटटी का फ़ना होने से डरता हैं

मेरे दिल के किसी कोने में एक मासूम सा बच्चा
बड़ों की देखकर दुनिया बड़ा होने से डरता है

बहुत मुश्किल नहीं है आईने के सामने जाना
हमारा दिल मगर क्यों सामना होने से डरता है

न बस में ज़िन्दगी इसके न काबू मौत पैर इसका
मगर इंसान फिर भी कब खुद होने से डरता है

अज़ब ये ज़िन्दगी की क़ैद है दुनिया का हर इंसान
रिहाई मांगता है और रिहा होने से डरता है

rajesh reddy

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