उदासियों में भी मुस्करा रहा था मैं !
फ़क़ीरी के भी लुफ़्त उठा रहा था मैं !!
झूठीं हँसी का राज़ जानता था मगर !
बड़े ही अदब से फ़रेब खा रहा था मैं !!
फ़क़ीरी के भी लुफ़्त उठा रहा था मैं !!
झूठीं हँसी का राज़ जानता था मगर !
बड़े ही अदब से फ़रेब खा रहा था मैं !!
" तन्हा " !!
No comments:
Post a Comment