अब तेरे मेरे बीच कोई फासला भी हो,
हम लोग जब मिलें तो कोई दूसरा भी हो
तू जानता नहीं मेरी चाहत अजीब है,
मुझ को मना रहा है कभी खुद खफा भी हो
हम लोग जब मिलें तो कोई दूसरा भी हो
तू जानता नहीं मेरी चाहत अजीब है,
मुझ को मना रहा है कभी खुद खफा भी हो
तू बेवफा नहीं है मगर बेवफाई कर,
उसकी नज़र में रहने का कुछ सिलसिला भी हो
पतझड़ के टूटते हुए पत्तों के साथ साथ,
मौसम कभी तो बदलेगा ये आसरा भी हो
चुपचाप उसको बैठ के देखूं तमाम रात,
जागा हुआ भी हो कोई सोया हुआ भी हो
उसके लिए तो मैंने यहाँ तक दुआएं की,
मेरी तरह से कोई उसे चाहता भी हो. !!
Bashir Badr
उसकी नज़र में रहने का कुछ सिलसिला भी हो
पतझड़ के टूटते हुए पत्तों के साथ साथ,
मौसम कभी तो बदलेगा ये आसरा भी हो
चुपचाप उसको बैठ के देखूं तमाम रात,
जागा हुआ भी हो कोई सोया हुआ भी हो
उसके लिए तो मैंने यहाँ तक दुआएं की,
मेरी तरह से कोई उसे चाहता भी हो. !!
Bashir Badr
No comments:
Post a Comment