अभी
बहुत कच्चा हूँ ..अफ़सोस जीवन एक ही है जो अधूरा रहेगा बहुत सारे एहसास से
..जो है घिसा-पिटा एक जैसा बेहद उबाऊ ..और जिसे याद रख सकूँ ..वो छूटता
गया ..जिसे चाहता हूँ वहां पहुंचकर लगता
है ये नहीं ..कोई और ...असंतोष नहीं है ये ..अतृप्ति भी नहीं ...एक अलग तरह
की कमी है ..जिसे कभी-कभी महसूस किया जा सकता है |
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